दूब (दुर्वा)
सामान्य नाम: दूब घास वैज्ञानिक नाम: साइनोडान डेक्टीलान(Cynodon dactylon)
Scientific classification
Kingdom: Plantae
Clade: Angiosperms
Clade: Monocots
Clade: Commelinids
Order: Poales
Family: Poaceae
Genus: Cynodon
Species: C. dactylon
Binomial name
Cynodon dactylon
(L.) Pers.
विवरण: हिंदी में इसे दूब, दुबडा, संस्कृत में दुर्वा, सहस्त्रवीर्य, अनंत, भार्गवी, शतपर्वा, शतवल्ली, मराठी में पाढरी दूर्वा, काली दूर्वा, गुजराती में धोलाध्रो, नीलाध्रो, अंग्रेजी में कोचग्रास, क्रिपिंग साइनोडन, बंगाली में नील दुर्वा, सादा दुर्वा आदि नामों से जाना जाता है। मारवाडी भाषा में इसे ध्रो कहा जाता हैँ। यह वर्ष भर पाया जाने वाला एक बहुवर्षीय पौधा है जो सभी प्रकार की भूमियों में सारे देश में समान रूप से पाया जाता है। इसके नए पौधे तनों, बीजों तथा भूमीगत तनों से पैदा होते है। वर्षाकाल में इसकी वृद्धि अधिक होती है तथा वर्ष में दो बार सितम्बर-अक्टूबर और फरवरी-मार्च में इसके पौधों पर फूल आते है। दूब का पौधा सभी फसलो में समान रूप से प्रतिस्पर्धा करता है परन्तु फैलकर बढने की प्रवृति के कारण इसकी मुख्य प्रतिस्पर्धा पोषक तत्वों के लिए होती है। कम तापक्रम पर इसकी वृद्धि अपेक्षाकृत कम होती है । इसमे प्रति पौधा २००० से ३००० अंकुरणशील बीज पैदा होते हैं। दूर्वा (दूब) घास मे 50 से भी अधिक औषधीय गुण होने के कारण आयुर्वेद में इसको महाऔषधि कहा गया है । इसमें फाइबर (Fiber), प्रोटीन (Protein), फास्फोरस (Phosphorus), पोटेशियम (Potassium), कैल्शियम (Calcium), कार्बोहाइड्रेट (Carbohydrate) इत्यादि प्रचुरता मात्रा मे पाए जाते है।