शाक सप्तमी व्रत
पंचमी को एकभक्त होकर व्रत करना चाहिए। षष्ठी को नक्त तथा सप्तमी को उपवास करना चाहिए।
ब्राह्मणों का मसालेदार तरकारियों से भोज और स्वयं रात्रि में भोजन करना चाहिए।
तिथिव्रत; सूर्य देवता; प्रत्येक चार मासों की अवधि में पुष्पों (अगस्ति, सुगन्धित, करवीर) से, अंजनी या लेपों (कुंकुम, श्वेत चन्दन एवं लाल चन्दन) से, धूपों (अपराजित, अगुरु, गुग्गुल) और नैवेद्यों (पायस, गुड़, रोटी, पकाया हुआ भात) से पूजा करनी चाहिए।
अन्त में ब्रह्मभोज, पुराणों का पाठ सुनना चाहिए।
इस व्रत का उल्लेख विभिन्न ग्रन्थों में इस प्रकार वर्णित है -
कृत्यकल्पतरु व्रत खण्ड 103-107
हेमाद्रि व्रत खण्ड 1, 760-733
कृत्यरत्नाकर 417-419
भविष्य पुराण (ब्राह्मपर्व, अध्याय 47 । 47-72)
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